पितृ_हो_जाएंगे_खुश 2023 पितृपक्ष में सबसे अच्छा दान किस चीज का होता है
पितृ हो जाएंगे खुश देंगे मनचाहा वरदान
पितृ_हो_जाएंगे_खुश जब हम पितृपक्ष की बात करते हैं, हमें याद आता है कि घर के अट्टिक पर नोटिस से घुटने तक बिछी रज़ाई में बसी पुरानी यादें और पितरों के आस्थान। यह संकल्प और आदर्शों का समय है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें उनका वंशवाद पुरस्कारित करते हैं।
परंतु क्या आपको यह ज्ञात है कि पितृपक्ष में सबसे अच्छा दान किस चीज का होता है? क्या हमें पहले से ही निर्धारित आदतों और पदार्थों को ही उपहार के रूप में छान कर देना चाहिए?
विचारशीलता और ज्ञान अपने पितृपक्ष यात्रा को सशक्त और उच्च का एक नया मतलब देते हैं। यह उपहार गहना, वस्त्र या धन के लिए सद्य रूप में छोड़े गए हैं। यह विचारशीलता हमें पितृपक्ष में खुद को आत्मसात करने का एक अद्वितीय तरीका प्रदान करती है।
इस पितृपक्ष जीवन में थोड़ा समय निकालें और अपने पूर्वजों से मिलने का अवसर करें। ध्यान एवं मेधा के साथ सत्संग में शामिल हों और उनके ज्ञान से पूर्ण शब्दों को सुनें। यह जीवन को ध्यानरेखा प्रदान करेगा और उच्च स्तर पर अनुभव सशक्त करेगा।
यह बात स्मरण रखें कि पितृपक्ष में उपहार नहीं, कर्ज, धोखा या अन्याय देकर आते हैं। प्रसाद, मेरी सेवा, और मेरा पवित्र कर्तव्य रखें, धर्म के अनुसार जीवन बिताएं। यह पितृपक्ष में सबसे अच्छा दान है। पूर्वजों का ध्यान रखने से हम प्राप्ति, शांति और शुभता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पितृपक्ष में सबसे अच्छा उपहार हमें अपने मूल गुणों की स्मृति में ध्यान केंद्रित करता है। यह एक समर्पण और समाधान का समय है, जब हम अपने उपास्य एवं उपासना के लिए आदर्श बनते हैं।

दान पुण्य सबसे उत्तम माना गया है।
1:- पित्र पक्ष में भोजन का दान सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
2:-श्राद्ध काल में भूखी एवं गरीब ब्राह्मणों और पशु, पक्षियों को भरपेट भोजन देना चाहिए ।
3:- गौ दान, काली तिल, जो, गुड़, गेहूं, कच्चा दूध, वस्त्र चारपाई, बर्तन, चप्पल, जूते, रुपए *और सोने चांदी का दान श्रेष्ठ बताया गया है।
4:- पितरों को दान हमेशा सामर्थ्य के अनुसार हाथ में काले तिल लेकर दक्षिण दिशा में मुंह करके करना चाहिए ।
सीधा दान:- पितर पक्ष में भूखे, गरीब ब्राह्मणों को भोजन करना संभव न हो तो भोजन की सामग्री यथा आटा, चावल, दाल, सब्जी, धी, गुड़, नमक आदि का सामर्थ्य से दान करें इससे पितर खुश होते हैं।
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पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए
मांसाहारी भोजन, तम्बाकू और शराब के सेवन से भी बचना चाहिए। पितृ पक्ष के पूरे पंद्रह दिनों में लोहे के बर्तनों का उपयोग करने से बचने और बाल काटने या दाढ़ी काटने से परहेज करने की सलाह दी जाती है।

रामायण में श्राद्ध को लेकर क्या उल्लेख पितृ_हो_जाएंगे_खुश
एक मान्यता ये भी है कि महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने ही कौरव और पांडवों की तरफ से युद्ध में मारे गए सभी लोगों का श्राद्ध किया था. इस पर जब श्री कृष्ण ने कर्ण का श्राद्ध करने के लिए कहा तो युधिष्ठिर ने कहा कि वो हमारे कुल का नहीं था ऐसे में वो कैसे उनका श्राद्ध कर सकते हैं. इस पर कृष्ण ने पहली बार इस राज पर से पर्दा उठाया था कि कर्ण और कोई नहीं बल्कि युधिष्ठिर का बड़ा भाई है. रामायण की मानें तो भगवान श्री राम ने भी उनके पिता दशरज का श्राद्ध किया था.

किसने शुरू किया श्राद्ध पितृ_हो_जाएंगे_खुश
श्राद्ध की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इसकी मान्यताओं को लेकर मतभेद हैं. हालांकि महाभारत के अनुशासन पर्व की एक कथा के मुताबिक माना जाता है कि महर्षि निमि ने सबसे पहले श्राद्ध की शुरुआत की थी और उन्हें श्राद्ध का उपदेश अत्रि मुनि ने दिया था. महर्षि निमि के बाद दूसरे महर्षि भी श्राद्ध कर्म करने लगे जिसके बाद धीरे-धीरे इसका प्रचलन शुरू हो गया.