Aghor Tantra: 10 बाते जो अघोरी को अलग करती है दुनिया से
Aghor Tantra Rahasya: अघोर पंथ यानी एक अलग ही रहस्यमयी दुनिया। अघोरियों के जीवन में सबसे अधिक अहमियत होती है गुरु की। अघोरी कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन बिना गुरु के उसे सिद्धि नहीं मिलती। उनकी गुरु दीक्षा भी आम संत-महात्माओं के मुक़ाबले काफी अलग होती है। अघोर पंथ में पुरुष और स्त्री, दोनों ही दीक्षा ले सकते हैं। लेकिन, उन्हें अपने गुरु पर अटूट विश्वास रखना पड़ता है। अघोर पंथ में दीक्षा तीन प्रकार की होती हैं।

पहली होती है हिरित दीक्षा Aghor Tantra
इसमें गुरु से गुरु-मंत्र या बीज-मंत्र कान में लिया जाता है, जिसे मंत्र फुकन भी कहते हैं। यह एकदम सरल दीक्षा है और इसे कोई भी ले सकता है। इसमें गुरु-शिष्य के बीच कोई नियम-बंधन नहीं होते। अधिकतर अघोरियों को यही दीक्षा मिलती है।
दूसरी होती है शिरित दीक्षा Aghor Tantra
इसमें शिष्य से गुरु नियमानुसार वचन लेते हैं और उसकी कमर, गले या भुजा में काला धागा बांधते हैं। पुरुष की दायीं और स्त्री की बायीं भुजा में धागा बांधकर बीज मंत्र दिया जाता है। फिर गुरु अपने हाथ में जल लेकर शिष्य को आचमन कराता है। इसमें गुरु-शिष्य के बीच कुछ नियम होते हैं, जिन्हें गुरु निर्धारित करते हैं। ये नियम बहुत जटिल भी हो सकते हैं।
तीसरी होती है रंभत दीक्षा Aghor Tantra
अघोरपंथ में सबसे मुश्किल। इसके नियम भी बहुत कठोर होते हैं। गुरु भी रंभत दीक्षा बहुत ही विलक्षण लोगों को देता है। इस दीक्षा को लेने वाले शख़्स पर गुरु का पूरा अधिकार हो जाता है। सिर्फ गुरु ही दीक्षा को वापस लेकर शिष्य को अपने बंधन से मुक्त कर सकता है। गुरु रंभत दीक्षा देने से पहले शिष्य को कई कसौटियों पर परखता है।
इस दीक्षा के बाद ही शिष्य सही मायने में गुरु के संप्रदाय का असल अधिकारी बनता है। उत्तराधिकार प्राप्त शिष्य भी इसी श्रेणी के होते हैं। यह दीक्षा तभी सफल होती है, जब शिष्य को अपने गुरु पर अटूट विश्वास हो। इसमें गुरु शिष्य को अघोरपंथ के सारे रहस्य बता देता है और शिष्य उसके बताए नियमों पर अमल करके सारी सिद्धियां प्राप्त कर लेता है।
शिष्य अपने गुरु के दिए मंत्रों का उच्चारण करके सिद्धियां हासिल करता है। उसे सिद्धियां एकसाथ नहीं, बल्कि धीरे-धीरे मिलती हैं। वह जैसे-जैसे साधना पथ पर आगे बढ़ता है, उसे शक्तियां मिलने लगती हैं। साधक को कुल 18 सिद्धियां मिलती हैं। आइए जानते हैं कि ये सिद्धियां अघोरी को कौन-सी शक्तियां देती हैं,

सबसे पहले मिलती है रक्षण शक्ति Aghor Tantra
गुरु मंत्रों का जाप करने पर शिष्य को सबसे पहले अपने जप और पुण्य की रक्षा करने की शक्ति मिलती है। वह अपनी और असहायों की मदद करने में भी सक्षम हो जाता है। अगर साधक पर कोई आपदा आने वाली है, तो मंत्र के प्रभाव से वह ख़त्म हो जाती है या उसका असर बहुत कम होता है।
इसके बाद मिलती है गति शक्ति Aghor Tantra
गुरु दीक्षा से पहले अघोरी जिस योग और ध्यान में नाकाम हो चुका है, दीक्षा से मिले मंत्र के जाप से उसकी साधना में गति आने लगती है। वह सारी सिद्धियों को तेज़ी से हासिल करने लगता है।
गति के बाद आती है कांति शक्ति Aghor Tantra
अघोरी को साधना पथ पर आगे बढ़ने के बाद यह शक्ति मिलती है। यह कुकर्मों वाले संस्कार को नष्ट करके साधक का चित्त उज्जवल कर देती है। उसके मन में किसी के लिए द्वेष या घृणा नहीं रह जाती। वह सबको सामान नज़र से देखने लगता है।
इसके बाद अघोरी को अपनाती है प्रीति Aghor Tantra
साधक ज्यों-ज्यों मंत्र का जाप करता है, उसकी अभीष्ट देवता से प्रीति बढ़ती जाती है। साधना पूरी होने पर प्रीति सिद्धि मिल जाती है। यह अघोरी की सामर्थ्य शक्ति को भी बढ़ा देती है।

प्रीति के मिलती है तृप्ति शक्ति Aghor Tantra
अघोरी के मंत्र जाप के साथ उसकी अंतरात्मा में तृप्ति-संतोष बढ़ता जाता है। इस गुरुमंत्र को सिद्ध करने बाद अघोरी की वाणी में सामर्थ्य आ जाता है। यानी की भविष्यवाणी सच हो जाती हैं और उसका श्राप और वरदान भी फलित होने लगता है।
तृप्ति के बाद अवगम का अधिकारी बनता है अघोरी Aghor Tantra।
अवगम शक्ति को सिद्ध करने के बाद अघोरियों को दूसरों के मन की बात पता चल जाती है। अघोरी को भूत और वर्तमान का पूरा ज्ञान हो जाता है। उसे पता चल जाता है कि सामने वाले व्यक्ति में कौन-से भाव हैं और अतीत में उसके साथ क्या कुछ हो चुका है।
सातवीं सिद्धि में मिलती है प्रवेश अवति शक्ति Aghor Tantra।
इस सिद्धि को हासिल करना काफी मुश्किल है। यह साधक को त्रिकालदर्शी बना देती है। उसे सबकी आंतरिक चेतना के साथ एकाकार होने की शक्ति मिल जाती है। ऐसे अघोरी पलभर में यहां तक बता सकते हैं कि आप किस जन्म में क्या थे।
इसके बाद मिलती है श्रवण शक्ति।
इससे अघोरी सबसे सूक्ष्म और गुप्त श्रोता बन जाता है। वह देवलोक में संपर्क कर सकता है। इस तरह के अघोरियों का शिष्य अगर दूर से उन्हें पुकारता है, तो उसकी पुकार अघोरी को साफ़ सुनाई दे जाती है। वह अपनी शक्ति के अनुसार उसकी मदद भी कर सकता है।
अगला क्रम है स्वाम्यर्थ शक्ति का Aghor Tantra।
यह शक्ति अघोरी को अपने मन का राजा बना सकती है। वह अपने हिसाब से नियम बना सकता है और अपने मन पर पूरी तरह से शासन कर सकता है।
दसवीं सिद्धि में साधक को मिलती है याचन शक्ति Aghor Tantra।
यह मंत्रजाप अघोरी को अपनी मनोकामना पूरी करने में सक्षम बना देता है यानी अगर अघोरी कोई चीज़ चाहे, तो वह उसके सामने आ जाएगी।
याचन शक्ति के बाद आती है क्रिया शक्ति Aghor Tantra।
गुरु की दीक्षा से मिला यह मंत्र सिद्ध होने पर अघोरी को निरंतर क्रियारत रहने की क्षमता और चेतना मिल जाती है।
फिर मिलती है इच्छित अवति शक्ति Aghor Tantra।
इसको सिद्ध करने के बाद अघोरी वरदानी बन जाता है यानी वह किसी भी व्यक्ति की मनोकामना पूरी कर सकता है।
वरदान के बाद ज्ञान की बारी Aghor Tantra।
दीप्ति शक्ति हासिल करने वाले अघोरी के हृदय में ज्ञान का प्रकाश बढ़ जाता है। वह सही मायने में सिद्ध पुरुष होने की दिशा में आगे बढ़ जाता है।
दीप्ति शक्ति के बाद मिलती है वाप्ति शक्ति Aghor Tantra।
इस शक्ति को सिद्ध करने वाला अघोरी उस चैतन्यस्वरूप ब्रह्म के साथ एकाकार हो जाता है, जिसकी चेतना अणु-अणु में व्याप रही है।

आलिंगन शक्ति से सबके हो जाते हैं अघोरी Aghor Tantra।
इस शक्ति का मतलब है अपनापन विकसित करने की शक्ति। इसे सिद्ध करने के बाद अघोरी के लिए अपने-पराए का भेद मिट जाता है। उसे पूरी दुनिया अपनी लगने लगती है।
आलिंगन के बाद आती है हिंसा शक्ति Aghor Tantra।
इस सिद्धि के नाम से लगता है कि यह अघोरी को हिंसक बना देती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। असल में इस सिद्धि से वह दुष्ट विचारों का दमन करते हैं। वह अपने साथ ही दूसरों के मन का अज्ञान भगाने में भी सक्षम हो जाते हैं।
दान शक्ति से महान बनते हैं अघोरी Aghor Tantra।
अघोरियों को जब दान शक्ति की सिद्धि मिलती है, तो वे पुष्टि और वृद्धि का दाता बन जाते हैं। फिर उन्हें कुछ मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह ख़ुद ही किसी को कुछ भी दे सकते हैं।
चिंताओं से मुक्त करती है भोग शक्ति Aghor Tantra।
प्रलय के दौरान सब कुछ महाकाल में लीन हो जाता है। सामान्य आदमी इस विचार से ही भयभीत हो सकते हैं, पर यह सिद्धि हासिल करने वाला अघोरी स्थूल जगत को अपने में लीन करता है और ऐसे ही तमाम दुःखों, चिंताओं से ऊपर उठकर मस्तमौला बन जाता है।
आखिर में मिलती है वृद्धि शक्ति Aghor Tantra।
यह सिद्धि हासिल करने वाले अघोरी में प्रकृतिवर्धक और संरक्षण की सामर्थ्य आ जाती है।
सारी सिद्धियां हासिल करने के बाद अघोरी सही मायने में सिद्ध पुरुष हो जाते हैं। फिर वे महागुरु बनकर अपने शिष्यों और जगत का कल्याण करने की कोशिश करते हैं।
अघोरा कौन होते है और क्या करते है Aghor Tantra
अघोरा एक विशेष सम्प्रदाय और साधु समुदाय को दर्शाने वाला एक हिन्दू तांत्रिक सम्प्रदाय है। अघोरा साधुओं को अघोरी कहा जाता है, और ये विशेष धार्मिक अनुष्ठान, तांत्रिक क्रियाएँ, और अनूठे तंत्र-मंत्र के आचारण के लिए प्रसिद्ध हैं।
अघोरी समुदाय के साधु विभिन्न तांत्रिक और योगिक तकनीकों का अभ्यास करते हैं और अपने आत्मविकास के माध्यम से अद्वितीयता और परमात्मा के साथ एकता की अद्भुत अनुभूति की कोशिश करते हैं। उन्हें अघोरी शब्द का अर्थ होता है ‘अघोर’ या ‘अशुभ’ से मुक्त, इसलिए ये लोग अशुभता और भय को नष्ट करने की कला के पक्षपाती रूप में भी जाने जाते हैं।
अघोरी साधुओं की पहचान उनके विशेष अनुष्ठान, वस्त्रधारण, और विचारशीलता के आधार पर होती है। उनका जीवन अलग-अलग तांत्रिक और योगिक सिद्धांतों का अध्ययन करने, मानवता की सेवा करने, और आत्मा के मुक्ति की प्राप्ति के लिए समर्पित होता है।
यह जरूरी है कि अघोरा साधुओं का चरित्र और उनके आचरण का अध्ययन करने से पहले, हम उन्हें सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक संदर्भ में समझें। वे अनुष्ठान, तापस्या, और आत्मसमर्पण के माध्यम से अपने धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहते हैं।

अघोरी का देवता कौन है Aghor Tantra?
अघोरी साधुओं का अध्ययन करने में, शिव एक महत्वपूर्ण देवता है जिन्हें वे अपने साधना का उदाहरण मानते हैं। अघोरा साधना में, भगवान शिव को ‘भैरव’ और ‘भैरवी’ रूपों में भी पूजा जाता है। अघोरी साधुओं का मानना है कि शिव भगवान सभी दिशाओं के प्रभु हैं और उन्होंने संसार के सारे दुखों का समापन किया है।
अघोरा साधुओं का अध्यात्मिक दृष्टिकोण उनके अनुष्ठान और तापस्या को भगवान शिव के साथ एकीकृत करने के लिए होता है, ताकि वे आत्मा के मुक्ति की ओर बढ़ सकें। इस प्रकार, शिव अघोरी साधुओं के लिए महत्वपूर्ण देवता होते हैं जिन्हें वे अपने साधना के माध्यम से अराधना करते हैं।
अघोरी बाबा क्या क्या कर सकते हैंAghor Tantra
अघोरी बाबा एक प्रकार के हिन्दू साधु होते हैं जो अपने विशेष तांत्रिक और योगिक अभ्यास के माध्यम से अद्वितीयता की प्राप्ति और आत्मा के मुक्ति की दिशा में साधना करते हैं। ये व्यक्ति विशेष धार्मिक और तांत्रिक ज्ञान के धारी होते हैं और उन्हें आत्मा के अद्भुत पहलुओं की अनुभूति होती है। यह कुछ क्षेत्र हैं जिनमें अघोरी बाबा अपने क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं:
तांत्रिक क्रियाएँ:
अघोरी बाबा तांत्रिक क्रियाओं का अभ्यास करते हैं जो उन्हें अध्यात्मिक ऊर्जा के साथ जोड़ता है और आत्मा की ऊर्जा को बढ़ाता है।
योग और ध्यान:
अघोरी बाबा योग और ध्यान के माध्यम से आत्मा के साथ एकीकृत होने का प्रयास करते हैं।
विशेष पूजा और साधना:
वे भगवान शिव और भैरव-भैरवी की पूजा करते हैं और विशेष साधनाओं का अभ्यास करते हैं।
अंतर्दृष्टि और ज्ञान:
अघोरी बाबा अंतर्दृष्टि और ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए अपने शिष्यों को उनके अनुभवों और दृष्टिकोणों से प्रभावित कर सकते हैं।
चिकित्सा और रोगनिवारण:
कुछ अघोरी बाबा रोगों के इलाज में भी विशेषज्ञ हो सकते हैं और वे चिकित्सा की शिक्षा भी देने के क्षमता से सम्बंधित हो सकते हैं।
यहां यह जरूरी है कि अघोरी बाबा की क्षमताओं और कौशलों को सावधानीपूर्वक समझा जाए, और यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके अभ्यास में आपका रुचानुसारी और सत्यवादी दिशा में हो।
पहला अघोरी कौन था Aghor Tantra
अघोरी साधुओं का समुदाय प्राचीन समय से ही हिन्दू धर्म में अस्तित्व में है, और कोई एक व्यक्ति इस समुदाय की स्थापना नहीं करता है। अघोरी विद्या का अभ्यास भगवान शिव के तांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित है, और इसे प्राचीन साधु-संप्रदायों और गुरु-शिष्य परंपराओं के माध्यम से संरक्षित किया गया है।
विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में इस समुदाय के साधुओं और तांत्रिकों के उल्लेख मिलते हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि कोई एक व्यक्ति अघोरी समुदाय की स्थापना करने वाला था। अघोरी समुदाय का संस्थान समय के साथ विभिन्न स्थलों पर विकसित हुआ, और वह एक परंपरागत सिद्धांत और आचारण का अनुष्ठान करता है।
इसलिए, किसी भी विशिष्ट व्यक्ति को “पहला अघोरी” मानना संभावना से बाहर है, क्योंकि यह समुदाय एक आचार्य या सिद्ध पुरुष की उत्पत्ति से नहीं, बल्कि धार्मिक और तांत्रिक सिद्धांतों के परंपरागत अनुष्ठान से जुड़ा हुआ है।
अघोरियों के पास कौन सी शक्तियां होती हैं Aghor Tantra
अघोरी साधुओं को मान्यता प्राप्त है कि वे अद्वितीय धार्मिक और तांत्रिक अभ्यास के माध्यम से अनूठी और अद्भुत शक्तियों को विकसित कर सकते हैं। इन शक्तियों का अभ्यास और विकास उनके आध्यात्मिक उन्नति के लक्ष्य के रूप में किया जाता है। यहां कुछ ऐसी शक्तियों का उल्लेख है जो अघोरी साधुओं के पास हो सकती हैं:
अनुष्ठान शक्ति:
अघोरी साधुओं का अनुष्ठान, तांत्रिक पूजा, और साधना उन्हें अध्यात्मिक ऊर्जा की उच्च स्तर पर ले जाने में मदद कर सकता है।
तांत्रिक शक्ति:
वे तांत्रिक क्रियाएं और मंत्रों का अभ्यास करके तांत्रिक शक्तियों को जागृत कर सकते हैं, जिससे वे अनूठे क्षमताओं को प्राप्त कर सकते हैं।
भूत-प्रेत शक्ति:
अघोरी साधुओं का मानना है कि वे भूत-प्रेतों के साथ संबंध स्थापित कर सकते हैं और इन्हें अपनी इच्छा के अनुसार नियंत्रित कर सकते हैं।
ज्ञान और अंतर्दृष्टि:
अघोरी साधुओं को विशेष ज्ञान और अंतर्दृष्टि का अद्भुत अनुभव होता है, जिससे वे भविष्य की घटनाओं को पहले ही जान सकते हैं और समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं।
चिकित्सा शक्ति:
कुछ अघोरी साधुओं को चिकित्सा और उपचार में भी विशेषज्ञता हो सकती है, और वे अनूठे रूप से रोगों का उपचार कर सकते हैं।
यह शक्तियां स्वभाव से ही अध्यात्मिक एवं तांत्रिक साधना का परिणाम होती हैं और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस प्रकार के अभ्यास को धार्मिक और नैतिक सीमाओं में किया जाए।