Aghori 400 साल से जलती धूनी, अघोरियों के लिए खास है ये जगह
क्या शिव अघोरी थे Aghori
अघोरी” Aghori एक हिन्दू साधु समुदाय का हिस्सा हो सकता है, जो आमतौर पर शिव भगवान के भक्तों में देखा जाता है। अघोरी संप्रदाय के साधुओं को “अघोर” कहा जाता है, जिन्होंने अपने आत्मा को देवता शिव में लिपटा हुआ माना जाता है।
अघोरी साधुओं Aghori की विशेषता यह है कि वे अपने जीवन में विभिन्न असामान्य तकनीकों और तांत्रिक साधनाओं का उपयोग करते हैं जो आम लोगों के लिए अजीब और भयानक लग सकते हैं। उनमें से कुछ अघोरी अपने शरीर पर अशुभ और अमृतित्व धारण करने के लिए भिक्षा मांगते हैं, तांत्रिक क्रियाओं का अभ्यास करते हैं और मृत्यु का सामना करने का दावा करते हैं।
यह धार्मिक समुदाय अपने अद्वितीय और आलौकिक उपास्य शैली के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें वे नास्तिकता, अद्वितीयता, और मोक्ष की प्राप्ति के माध्यम से दिव्यता की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। इस तरह के साधुओं का विचार अनुसंधान और ध्यान के माध्यम से आत्मा की पूर्णता की प्राप्ति का प्रयास करने का हिस्सा हो सकता है, जो हिन्दू धर्म में मुक्ति की प्राप्ति का एक मुख्य उद्देश्य है।

पहला अघोरी कौन था Aghori
अघोरी संप्रदाय का आरंभ बहुत पुराने समय में हुआ था, और इसे संबंधित व्यक्ति का नाम विशेषत: नहीं मिलता है। हिन्दू धर्म में अघोरी साधुओं का उल्लेख वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में मिलता है, जिनमें भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप के प्रति अपनी भक्ति और आत्मा के मोक्ष की प्राप्ति के प्रयास का वर्णन होता है।
कोई विशेष व्यक्ति या संत जिसे हम पहले अघोरी कह सकते हैं, इस संप्रदाय की शुरुआत करने वाला नहीं है। यह संप्रदाय एक दृष्टि के साथ आता है, जिसमें भगवान शिव के साकार और निराकार स्वरूप के प्रति अद्वितीय भक्ति और तांत्रिक अभ्यास की महत्वपूर्णता होती है।
इसलिए, अघोरी संप्रदाय की शुरुआत एक विशेष व्यक्ति से नहीं हुई हो सकती है, बल्कि यह एक धार्मिक समुदाय की अद्वितीय धारा है जो समय के साथ विकसित हुई है।

अघोरी का देवता कौन है Aghori
अघोरी साधुओं का प्रमुख देवता भगवान शिव (Lord Shiva) है। वे शिव के अद्वितीय और परम तत्त्व के प्रति अपनी श्रद्धाभक्ति का प्रदर्शन करते हैं। अघोरी संप्रदाय में, भगवान शिव को सर्वोच्च और अद्वितीय परमात्मा माना जाता है जिसमें सभी द्वंद्वों का समापन होता है और सभी जीवों का आत्मा उसका अभिन्न अंश है।
अघोरी साधुओं का धार्मिक दृष्टिकोण अत्यंत विशिष्ट होता है और उनका मुख्य उद्देश्य आत्मा के मोक्ष की प्राप्ति है। इसके लिए, वे भगवान शिव के प्रति अपनी अनन्य भक्ति, ध्यान, और साधना के माध्यम से आत्मा के उद्दीपन में लगे रहते हैं।
अघोरी साधुओं की तांत्रिक साधनाओं में भी भगवान शिव का महत्वपूर्ण स्थान है, और उन्होंने तांत्रिक विद्या का अभ्यास करके आध्यात्मिक ऊर्जा को जानने और नियंत्रित करने की कला में दीप ज्ञान प्राप्त किया है।

अघोरी और साधु में क्या अंतर है Aghori
अघोरी और साधु दोनों ही हिन्दू संत समुदाय के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर हो सकता है:
धार्मिक परंपरा:
अघोरी: अघोरी एक विशेष समुदाय है जो अपने तांत्रिक साधनाओं, अनूठे आचरणों, और शिव भगवान के प्रति अद्वितीय भक्ति के लिए प्रसिद्ध है।
साधु: साधु एक विशेष जीवनशैली का पालन करने वाला संत हो सकता है,
जो आत्मा के मोक्ष की प्राप्ति के लिए अपने जीवन को समर्पित करता है। साधु शिव, विष्णु, या अन्य देवी-देवताओं के प्रति भक्ति रख सकता है, और उनकी साधना में वेदांत, भक्ति, योग, या अन्य धार्मिक प्रणालियों का अध्ययन कर सकता है।
तांत्रिक साधना:
अघोरी साधुओं की विशेषता तांत्रिक साधना में होती है, जिसमें वे असामान्य तकनीकों का उपयोग करते हैं और अपने शरीर पर अनूठे आचरण करते हैं।
साधु: अन्य साधुओं में तांत्रिक साधना का अध्ययन हो सकता है, लेकिन यह सामान्यत: इतना विशेष नहीं होता और वे अधिकतर योग, भक्ति, या ज्ञान की पाठशालाओं में लगे रहते हैं।
आचरण और वेशभूषा:
अघोरी: अघोरी साधुओं का आचरण और वेशभूषा अक्सर अनूठे होते हैं, और वे शवों से बनी माला या खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।
साधु: साधुओं का आचरण और वेशभूषा भिन्न हो सकती है, लेकिन वे अक्सर उदार, सात्त्विक, और पवित्र जीवनशैली का पालन करते हैं।
यह अंतर सार्वजनिक रूप से हैं और व्यक्ति के विचार और धार्मिक दृष्टिकोण पर भी निर्भर कर सकते हैं।

अघोरी साधु से कैसे जुड़ें Aghori
अघोरी साधु से जुड़ने का तरीका व्यक्ति के आत्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। यह कुछ सामान्य सुझाव हो सकते हैं:
ध्यान और श्रद्धा:
अघोरी साधुओं के साथ जुड़ने का पहला कदम उनके प्रति ध्यान और श्रद्धा रखना है। इसमें उनकी तांत्रिक साधनाओं, विचारशीलता, और धार्मिक दृष्टिकोण को समझने का प्रयास शामिल है।
संदर्भ स्थापित करें:
यदि आपको आगामी किसी तांत्रिक संदर्भ में जुड़ना है, तो ध्यानपूर्वक और समर्पितता के साथ इससे संपर्क करें। यह संदर्भ एक सामाजिक चर्चा, समागम, या धार्मिक आयोजन में हो सकता है।
विचार और समझ:
अघोरी साधुओं के साथ जुड़ने से पहले, आपको ध्यानपूर्वक उनके संदेश, सिद्धांत, और उनके धार्मिक दृष्टिकोण को समझना महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन और संवाद:
यदि संभावना हो, तो सम्मेलनों, साधु समागमों, या उनके आश्रमों में शामिल होने का प्रयास करें। यह एक अवसर हो सकता है जिसमें आप उनसे मिल सकते हैं और उनसे धार्मिक विचारविमर्श कर सकते हैं।
सावधानी:
साधु से जुड़ने के पहले, आपको सावधानी बरतनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका इंटरेस्ट सत्यिक है और आपका संपर्क उचित है।
अघोरी विद्या कैसे की जाती है Aghori
अघोरी विद्या, जो तांत्रिक साधना, ध्यान, और तांत्रिक कला को शामिल करती है, एक विशेष प्रकार की धार्मिक और आध्यात्मिक अभ्यास पद्धति है। इसमें व्यक्ति अपने आत्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को जानने और नियंत्रित करने का प्रयास करता है। यह कई प्रकार की साधनाएं, मंत्र, और ध्यान की विधियों पर आधारित होती है।
यहां कुछ कदम दिए गए हैं जो अघोरी विद्या का अभ्यास करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन यह जरूरी है कि आप इसे किसी अनुभवी और आध्यात्मिक गुरु के मार्गदर्शन में ही करें:
ध्यान और योग:
अघोरी विद्या का अभ्यास ध्यान और योग के माध्यम से होता है। योगासन, प्राणायाम, और ध्यान की प्रणालियों का अभ्यास करने से व्यक्ति अपने आत्मा को पहचानता है और उसे नियंत्रित करना सीखता है।
मंत्र जप:
अघोरी विद्या में मंत्रों का विशेष महत्व है। व्यक्ति मंत्रों का जप करके अपनी ऊर्जा को ऊर्जित करता है और आत्मा के उद्दीपन में साहायक होता है।
तांत्रिक साधना:
तांत्रिक कलाओं और साधनाओं का अभ्यास भी अघोरी विद्या में शामिल है। इसमें व्यक्ति अनूठे और अद्वितीय तकनीकों का अध्ययन करके आत्मा को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है।
विचारशीलता:
अघोरी विद्या में विचारशीलता एक महत्वपूर्ण घटक है। व्यक्ति को अपने मानसिक और आत्मिक प्रदर्शनों की समझ बढ़ाने के लिए विचारशीलता की आवश्यकता है।
गुरु के मार्गदर्शन:
अघोरी विद्या का अभ्यास करने के लिए एक अनुभवी और आध्यात्मिक गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुरु के मार्गदर्शन में ही सही दिशा मिलती है और व्यक्ति को सुरक्षित और उचित रूप से अभ्यास करने का तरीका मिलता है।