Dhanteras धनतेरस पर भूल से न करे ये गलतिया
धनतेरस Dhanteras पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पूजा है जो दीपावली के पूर्व दिन मनाई जाती है और इसके माध्यम से धन, समृद्धि और लक्ष्मी माता की आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है। धनतेरस पूजा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुएं हैं:
तिथि और समय: धनतेरस Dhanteras हिन्दू माह आश्विन के कृष्ण पक्ष के 13वें दिन को मनाई जाती है (आमतौर पर अक्टूबर या नवम्बर में)। पूजा आमतौर पर शाम के समय की जाती है, जो शुभ माना जाता है।
तैयारी:
पूजा से पहले लोग अपने घरों को साफ सफाई करते हैं और दरवाजों को रंगीन रंगोली डिज़ाइनों से सजाते हैं। वे भगवानेस्वरी का स्वागत करने के लिए रंगीन दियों या दिवाओं को जलाते हैं।
पूजा वस्त्र:
धनतेरस पूजा के महत्वपूर्ण वस्त्र में भगवती लक्ष्मी की चित्र या मूर्ति, एक चांदी या सोने का सिक्का, पान पत्तियाँ, सुपारी, फूल, धूप, और मिठाई शामिल होते हैं। कुछ लोग संपत्ति के प्रतीक के रूप में अनाज जैसे चावल या गेहूं भी रखते हैं।

पूजा विधि:
पूजा परिवार के सदस्यों को एक साथ जमा करने से शुरू होती है। वे स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और फिर भगवती लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए आरती करते हैं। पूजा का मुख्य फोकस धन की पूजा पर होता है, जिसमें भक्त धन और समृद्धि की आशीर्वाद को पुकारते हैं।
दियों का प्रकाशन:
दियों का प्रकाशन करना पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इससे अंधकार का दूर हो जाता है और जीवन में प्रकाश और समृद्धि की आगमन का प्रतीक माना जाता है।

अर्पण:
देवताओं को मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं, और सोने या चांदी के सिक्के की पूजा संपत्ति के प्रतीक के रूप में की जाती है। कुछ लोग अपने व्यापार के उपकरण और साधनों की पूजा भी करते हैं।
मंत्र और मन्त्र:
पूजा के दौरान विशेष मंत्र और जाप किए जाते हैं, ताकि भगवती लक्ष्मी की आशीर्वाद प्राप्त किए जा सकें।
प्रार्थना और आरती:
भक्त अपनी प्रार्थनाएं पेश करते हैं और आरती करते हैं, देवता के सामने एक प्रज्वलित दिया को हिलाते हुए भजन गाते हैं।

उपहारों का आपसी विनिमय:
धनतेरस के दौरान परिवार और दोस्तों के साथ उपहार और समृद्धि के चिन्हों का आपसी विनिमय करना एक परंपरागत अदात है।
महत्व:
धनतेरस पूजा से धन, शुभ फल, और समृद्धि की प्राप्ति की जाती है माना जाता है। इसे सोने, चांदी, और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है।
धनतेरस पूजा दीपावली के दिनों के उत्सव की महान धूमधाम से आरंभ करने के लिए मायने रखती है। यह परिवार के एकत्र होने, भोजन, और शुभकामनाओं का आपसी विनिमय का समय होता है।
धनतेरस तारिख Dhanteras
धनतेरस का त्योहार हर साल हिन्दू माह आश्विन के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी (13) तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि हर साल किसी भी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बदलती है क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार होती है।

धनतेरस 2023 में 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा Dhanteras
कृपया धनतेरस की तारीख के बारे में स्थानीय पंचांग या कैलेंडर की पुष्टि करें, क्योंकि यह तारीख हर साल बदल सकती है।
धनतेरस त्यौहार
धनतेरस एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो दीपावली के पूर्व दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को “धनत्रयोदशी” भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है “धन की त्रयोदशी,” क्योंकि यह त्योहार धन, धन की वृद्धि, और समृद्धि की प्राप्ति की आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। धनतेरस के महत्वपूर्ण पहलुओं में निम्नलिखित शामिल है:

धन की पूजा:
धनतेरस का मुख्य उद्देश्य धन की पूजा करके धन, संपत्ति, और वित्तीय समृद्धि की प्राप्ति करना होता है. लोग इस दिन भगवानेस्वरी या लक्ष्मी माता की आराधना करते हैं और उनकी कृपा पाने की कोशिश करते हैं.
सुख-शांति के लिए व्रत:
धनतेरस के दिन कुछ लोग उपवास रखते हैं और ध्यान आदि की अनुष्ठान करके अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त करने की कोशिश करते हैं.

व्यापारिक महत्व:
धनतेरस को व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन व्यापारी लोगों के लिए सोने, चांदी, या अन्य मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
रिपुदहन का बहिष्कार:
धनतेरस को अपने घर के दरवाजों और खिड़कियों पर रंगोली डिज़ाइन बनाने, दियों को जलाने, और धन का स्वागत करने के रूप में मनाने का भी आदत है. इसका उद्देश्य होता है दुख और अशुभता को बहिष्कार करना.
आपसी विनिमय:
इस दिन परिवार और दोस्त एक दूसरे के साथ उपहारों और शुभकामनाओं का आपसी विनिमय करते हैं।
धन्यवाद और प्रार्थना:
धनतेरस के दिन लोग भगवान का धन्यवाद करते हैं और अपनी मांगे शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए करते हैं.
धनतेरस के दिन क्या खरीदना शुभ माना जाता है Dhanteras
धनतेरस के दिन कुछ विशेष चीजें खरीदने को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन, समृद्धि, और आर्थिक सफलता की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह विशेष खरीदारी शुभ मानी जाती है क्योंकि इसे धनतेरस की खास उपलक्ष्यके लिए बनाया होता है, और इसका मतलब है कि इस दिन यह सारी चीजें खरीदने का रुझान है:
जैसे की
झाड़ू, सोना चांदी, बर्तन, धनिया आदि छेजे खरीदने से धनतेरस को पूर्ण किया जाता है
धनतेरस का त्योहार हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और इसका मनाने के पीछे कई कारण होते हैं:

धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है Dhanteras
धनतेरस का मुख्य उद्देश्य धन, समृद्धि, और आर्थिक सफलता की प्राप्ति करना होता है. यह त्योहार धन और समृद्धि की देवी भगवानेस्वरी या लक्ष्मी माता की पूजा करके मनाया जाता है ताकि लोग उनकी कृपा प्राप्त कर सकें.
धनतेरस पर कितने दीये जलाए जाते हैं Dhanteras
धनतेरस पर व्यक्ति आमतौर पर 13 दीपक (दिया) जलाते हैं, क्योंकि यह त्योहार आश्विन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इसके अलावा, कुछ लोग अधिक दीपक भी जलाते हैं, जैसे कि 21 या 108, जो आदतन धार्मिक महत्वपूर्ण संख्याएँ मानी जाती हैं। इन दीपकों को अपने घर के अलग-अलग हिस्सों में जलाया जाता है, जैसे कि पूजा स्थल, दरवाजा, खिड़कियाँ, और मंदिर में।
दीपों को जलाने से अंधकार को दूर किया जाता है और पॉजिटिव ऊर्जा को अत्यंत अत्यधिक किया जाता है, जिससे आशीर्वाद, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

धनतेरस पर किस भगवान की पूजा करनी चाहिए Dhanteras
धनतेरस पर मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि, भगवान गणेश, और भगवती लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह त्योहार धन, समृद्धि, और आर्थिक सफलता की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है, और इन भगवानों की आराधना इसका महत्वपूर्ण हिस्सा होती है:
धन्वंतरि पूजा:
धनतेरस के दिन, भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धन्वंतरि वैद्यकीय विज्ञान और औषधि के देवता होते हैं, और इसका मतलब है कि इनकी आराधना से रोग और बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है।
गणेश पूजा:
धनतेरस की पूजा के प्रारंभ में भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। गणेश विद्या, विद्या, और धन के देवता माने जाते हैं, और उनकी आराधना से शुभ आरंभ करने की प्रारंभिक आशीर्वाद प्राप्त होता है।
लक्ष्मी पूजा:
धनतेरस के दिन, भगवती लक्ष्मी की पूजा भी महत्वपूर्ण होती है।
धनतेरस पर दिया कहां रखें Dhanteras
धनतेरस पर दीपक (दिया) को विभिन्न स्थानों पर रखा जा सकता है ताकि यह आपके घर में धन, समृद्धि, और आर्थिक सफलता की प्राप्ति के लिए शुभ ऊर्जा फैला सके। धनतेरस पर दीपक को निम्नलिखित स्थानों पर रखने की प्रथा होती है:
पूजा स्थल:
पूजा स्थल यानी मंदिर या पूजा कक्ष में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। यह धनतेरस की पूजा का मुख्य भाग होता है और आपके ध्यान और आराधना को संजीवनी बनाता है।
दरवाजा:
दीपकों को अपने घर के मुख्य द्वार पर जलाने के रूप में रखना भी शुभ माना जाता है। इससे अंधकार को दूर किया जाता है और पॉजिटिव ऊर्जा को आने दिया जाता है.
खिड़कियाँ:
दीपकों को खिड़कियों में जलाने से घर के अंदर की ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है और यह सुरक्षित और सुखमय जीवन को प्राप्त करने में मदद करता है.
आँगन:
आँगन या बाहरी आंगण में भी दीपक जलाने के लिए जगह होती है, जिससे घर के चारों ओर की सुरक्षा और सौभाग्य की रक्षा होती है।
धनतेरस के दिन धनिया क्यों खरीदना चाहिए Dhanteras
धनतेरस के दिन धनिया (coriander) की खरीदारी का एक विशेष महत्व है, खासकर उत्तर भारत में। इसका पीछा कई पौराणिक कथाओं और परंपरागत मान्यताओं से जुड़ा होता है,
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए धनिया बहुत अच्छा होता है. इसी कारण लोग दूसरी खरीदारी के साथ-साथ धनिया भी खरीदते हैं.
झाड़ू की पूजा कब की जाती है Dhanteras
झाड़ू की पूजा एक प्रकार से विशेष पूजा मानी गई है और इसकी विशेष तिथियों पर पूजा की जाती है, जैसे कि “आषाढ़ नवरात्रि” या “अक्षय तृतीया” धनतेरस जैसे कुछ विशेष अवसरों पर। इसकी पूजा का मुख्य रूप से की जाती है कि झाड़ू की पूजा के माध्यम से सफाई, शुद्धता, और स्वच्छता के प्रतीक के रूप में भगवान की कृपा बनी रहे इस लीयते झाड़ू की पूजा की जाती है