Diwali 2023 Kab hai: क्या आप भी दीवाली पर ये गलतिय करते हो तो जो जाये सावधान

Diwali 2023 Kab hai: क्या आप भी दीवाली पर ये गलतिय करते हो तो जो जाये सावधान

दीवाली, deepawali 2023 जिसे दीपावली भी कहते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाने का पर्व माना जाता है, जिसके आलावा इसे माता लक्ष्मी के आगमन, खुशियों का त्योहार और जीवन की अच्छाई के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है।

इस त्योहार deepawali 2023 के मुख्य रूप से दीपों के प्रकाशन के आसपास गैरआपातक अंधकार में जलाने की परंपरा है, जिसका मतलब है कि घरों की चौखटों पर दीपकों की बजाय ज्यादातर घरों के आंगनों, बालकनियों, और आसपासी क्षेत्रों में दीपकों को जलाने का अभिषेक किया जाता है। इसके अलावा, लोग नए कपड़े पहनकर और विभिन्न प्रकार की रंगों के रंगों के वस्त्र पहनकर त्योहार का आनंद लेते हैं।

Deewali

दीवाली का मुख्य आयोजन घरों की सजावट होता है, जिसमें घर को सजाने और सफाई करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार करने का भी अहम हिस्सा होता है। लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर मिठाई, नमकीन, और खास डिशेस का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा, दीवाली को भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, और दीपावली पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें लोग भगवान और देवी की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

दीवाली का क्या महत्त्व है Deepawali

दीवाली का महत्व भारतीय समाज में बहुत अधिक है और यह त्योहार हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसका महत्व कई आधारों पर आधारित है:

भगवान राम के आगमन का पर्व: दीवाली का मुख्य कथा भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाने का है। भगवान राम ने अपने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या कैसे लौटे, यह कथा दीवाली के महत्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

माता लक्ष्मी का आगमन: दीवाली को माता लक्ष्मी के आगमन के अवसर के रूप में भी मनाया जाता है। लोग माता लक्ष्मी का स्वागत करने और उनकी कृपा को पाने के लिए अपने घरों को सफाई करते हैं और धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं।

Deewali

दीपों का प्रकाशन: दीपावली का नाम “दीप” (दिया) से जुड़ा है और इसमें दीपों के प्रकाशन का महत्व है। लोग अपने घरों की चौखटों पर और घर के आसपास दीपक जलाकर अंधकार को दूर करते हैं, जिसका परिणामस्वरूप त्योहार का आगमन और अच्छाई के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

समाज में एकता और बंधुत्व: दीवाली एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ आने के लिए प्रोत्साहित करता है और उनमें एकता और बंधुत्व की भावना पैदा करता है। लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताते हैं, खुशियों का साझा करते हैं, और एक दूसरे के साथ मनोरंजन करते हैं।

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दीवाली को कितने दिनो तक मनाना चाहिए Deepawali

दीवाली का त्योहार एक पंच दिनों तक मनाया जाता है, और ये पंच दिन निम्नलिखित होते हैं:

धनतेरस (Dhanteras):

यह दीवाली के पहले दिन होता है और इसे धन की प्राप्ति के लिए माना जाता है। लोग इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और नए धन के खरीदारी करते हैं।

नरक चतुर्दशी (Choti Diwali):

इस दिन को चोटी दीवाली भी कहते हैं, और लोग अपने घरों को सजाकर दीपक जलाते हैं.

दीवाली (Main Diwali):

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यह दीवाली का मुख्य दिन होता है और भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घरों की सजावट करते हैं, दीपक जलाते हैं और पूजा करते हैं.

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja):

इस दिन पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है, और लोग अन्न और गौ-माता की पूजा करते हैं.

भैया-दूज (Bhai Dooj):

दीवाली के पंचवें दिन को भैया-दूज कहा जाता है, और इस दिन बहनें अपने भाइयों की कदर करती हैं और उनके लिए पूजा करती हैं.

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नवंबर में दीपावली कितनी तारीख को है Deepawali

चतुर्दशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर को दोपहर में 1 बजकर 57 मिनट से होगा और समापन अगले दिन 12 नवंबर को दोपहर में 2 बजकर 44 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार नरक चतुर्दशी 12 नवंबर को ही मनाएंगे। इसी दिन दीपावली भी मनाई जाएगी।

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दीपावली की सुबह क्या करें Deepawali

दीपावली के शुभ दिन पर, लोग जल्दी उठते हैं और सूर्योदय से पहले गर्म तेल से स्नान करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं । फिर वे नए कपड़े पहनते हैं, मोमबत्तियाँ जलाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं और अपने प्रियजनों के साथ मिठाइयों का आनंद लेते हैं।

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क्या मैं पीरियड्स में दिवाली पूजा कर सकती हूं Deepawali

आदर्श रूप से, परिवार के मुखिया को दिवाली के दिन पूजा करनी होती है। उनके पूजा संकल्प का एक हिस्सा पहले से ही आपको कवर करता है। इसलिए, आपको कोई पूजा करने या इसमें भाग लेने की भी आवश्यकता नहीं है । पीरियड्स के दौरान आप जप और ध्यान कर सकती हैं।

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क्या हम दिवाली पर पैसे दे सकते हैं Deepawali

दिवाली एक ऐसा त्योहार है जो घर में आध्यात्मिक और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है। निवेश करना या चीजें खरीदना इस त्योहार का हिस्सा है लेकिन दूसरों को पैसे देने की सलाह नहीं दी जाती है । इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि उपहार या दान के रूप में पैसे देने का अभ्यास न करें।

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दीपावली के दिन क्या नहीं खरीदना चाहिए Deepawali

दिवाली के दिन कभी भी काले कपड़े या काला सामान नहीं खरीदना चाहिए. इ‍स दिन चमकीली चीजें खरीदना शुभ माना जाता है.

इन पंच दिनों में लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं, पूजा करते हैं, और अच्छा खाने का आनंद लेते हैं.

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दीपावली पर कितने दीये जलाने चाहिए Deepawali

दिवाली भगवान राम के देवी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। लोग अपने घरों को खूबसूरत दीयों से सजाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर दीये का एक महत्व होता है और मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग जगहों पर कुल 13 दीये जलाए जाते हैं।

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दीपावली की रात को क्या नहीं करना चाहिए Deepawali

दिवाली की रात जुआं खेलने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए. वहीं, दिवाली की रात पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए. कहते हैं कि मां रात में धरती पर ही भ्रमण करती हैं और घरों में जाती हैं

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घर पर लक्ष्मी पूजा कैसे करें Deepawali

देवी लक्ष्मी की आरती गाएं और मूर्तियों और कलश के सामने कपूर की रोशनी घुमाएं। घर की समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना करें और दुनिया के लिए भी प्रार्थना करें। वेदी की परिक्रमा करें और देवताओं के सामने साष्टांग प्रणाम करें। उपस्थित लोगों के बीच पूजा का प्रसाद वितरित करें।

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दीया का मुंह किस दिशा में होना चाहिए Deepawali

आप दीयों को पूर्व या उत्तर दिशा में भी रख सकते हैं। माना जाता है कि इन्हें पूर्व दिशा में रखने से परिवार को स्वास्थ्य लाभ होता है, जबकि उत्तर दिशा में रखने से धन की प्राप्ति होती है। टिप: मंदिर के दीये और दीपक दक्षिण दिशा में रखने से बचें।

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दिवाली पर हम मोमबत्ती क्यों जलाते हैं Deepawali

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि 13 दीये हैं जिन्हें दिवाली और धनतेरस के दौरान अपने घर में जलाना चाहिए और अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए । यह भी माना जाता है कि 13 दीये नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करते हैं। वे दयालुता और पवित्रता का भी प्रतीक हैं।

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