Diwali दीवाली क्यों मनाई जाती है जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग

Diwali दीवाली क्यों मनाई जाती है जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भोग

दीवाली Diwali एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत और दुनिया भर के हिन्दू लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसे विभिन्न कारणों से मनाया जाता है:

भगवान राम की वापसी: दीवाली का प्रमुख कारण भगवान राम की अयोध्या लौटकर आने की खुशी के अवसर के रूप में माना जाता है। भगवान राम ने दसुरथ राजा के पुत्र के रूप में अयोध्या को वनवास के बाद वापस आया था, और लोग उनके आगमन को खुशी के साथ मनाते हैं।

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अधर्म के खिलाफ धर्म की जीत:

दीवाली भगवान राम और भगवान हनुमान द्वारा रावण के खिलाफ लड़े जाने वाले युद्ध की जीत का प्रतीक भी है। इसके माध्यम से दीपावली अधर्म के प्रति धर्म की जीत का प्रतीक भी है, और यह बुराई पर अच्छाई की विजय की प्रतीक के रूप में मानी जाती है।

वस्तुनिष्ठता और शुभता का प्रतीक:

दीवाली एक दुनियाभर में आपसी समरसता, सद्भावना, और आदर्श वस्तुनिष्ठता को प्रमोट करने का अवसर है। यह व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने और खुशियों को बाँटने का समय होता है।

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समृद्धि और व्यापार में आशीर्वाद:

दीवाली के मौके पर व्यापारी वर्ग को अपने व्यवसाय की समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की कृपा के लिए प्रार्थना करने का परंपरागत मौका मिलता है।

इन सभी कारणों से दीवाली को हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहार माना जाता है और यह खुशियों, उत्सव, और आदर्शों की प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

क्या मैं पीरियड्स में दिवाली पूजा कर सकती हूं Diwali

हां, आप पीरियड्स के दौरान भी दीवाली पूजा कर सकती हैं। धार्मिक पूजा की प्रक्रिया में पीरियड्स के दौरान किसी भी स्त्री के लिए कोई प्रतिबंध नहीं होता है। आपकी भक्ति और पूजा करने की इच्छा में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए।

यदि आप पीरियड्स के दौरान दीवाली पूजा करना चाहती हैं, तो आप सामान्य पूजा के नियमों का पालन कर सकती हैं, लेकिन यदि आपको आपकी धर्मिक या पारंपरिक प्रथाओं के बारे में किसी विशेष सवाल या चिंता होती है, तो आपको अपने परिवार के पुजारियों या धार्मिक गुरु से सलाह लेनी चाहिए

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कौन सा राज्य दिवाली नहीं मनाता है Diwali

भारत में सभी राज्य दीवाली का त्योहार मनाते हैं, क्योंकि यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण और पॉप्युलर त्योहार है जो पूरे देश में मनाया जाता है। दीवाली को भारत के सभी राज्यों में खुशी, उत्सव, और समरसता के साथ मनाया जाता है।

दीवाली विभिन्न रूपों में मनाई जाती है और यह विभिन्न पारंपरिक और स्थानीय अनुष्ठानों के साथ जुड़ी होती है, लेकिन यह सभी राज्यों में महत्वपूर्ण त्योहार है जो सारे देशवासियों के बीच एकता और खुशी का मौका प्रदान करता है।

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दिवाली पर पीरियड्स आ जाए तो क्या करें Diwali ?

दीवाली के दिन पीरियड्स (मासिक धर्म) आने पर, यह कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं:

ह्याइजीनिक उपाय:

पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात, आपको उचित ह्याइजनिक उपायों का पालन करना चाहिए। निहित उपायों और स्वच्छता के साथ रहें।

स्वास्थ्य और आराम:

यदि आपको पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द या तकलीफ होती है, तो आपको पूरी तरह से आराम करना चाहिए।

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उचित वस्त्र:

आपको बढ़िया और सुखद परिधान पहनना चाहिए जो आपको सुखद आनंद दे सके।

निष्काम सेवा:

यदि आप पूजा या परिवारी आयोजन का हिस्सा हैं, तो आप निष्काम सेवा करने के रूप में भाग ले सकती हैं, जैसे कि प्रसाद तैयार करना या दीवाली के उपहार बाँटना।

व्यक्तिगत निर्णय:

आपकी आरामदायकता के लिए आपके अपने शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ्य के अनुसार आपके व्यक्तिगत निर्णय के माध्यम से आपकी सीमितियों को निर्धारित करना चाहिए।

आपके पीरियड्स के दौरान दीवाली के उपयोगात्मक रूप में भाग लेने के लिए आपके परिवार और साथी लोगों का समर्थन कर सकते हैं ताकि आपको साहस और समरसता के साथ त्योहार का आनंद उठाने में मदद मिल सके।

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केरल में लोग दिवाली क्यों नहीं मनाते हैं Diwali ?

यदि हम जनसंख्या को ध्यान में रखते हैं, तो केरल में हिंदुओं की तुलना में ईसाइयों की संख्या अधिक है। यह एक कारण है कि भारत के अन्य हिस्सों की तरह राज्य में पूरे उत्साह के साथ दिवाली नहीं देखी जाएगी। केरलवासी ओणम और क्रिसमस को प्रमुख प्राथमिकता देते हैं

दिवाली के दिन पटाखे क्यों जलाए जाते हैं Diwali ?

दीवाली के दिन पटाखे जलाने का परंपरागत अधिकारिक कारण है, और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

भगवान राम के आगमन का स्वागत:

प्रमुख रूप से, पटाखे दीवाली के दिन भगवान राम के अयोध्या वापसी का स्वागत करने के लिए जलाए जाते हैं। इस प्रकार, वे उसके आगमन को खुशी और उत्सव के रूप में मनाने के रूप में सेलिब्रेट किए जाते हैं.

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प्रकृति का समर्थन:

दीपावली के दिन पटाखे जलाने का प्रकृति के साथ एक प्रकार का इनर हैरमन करने का भी प्रयास हो सकता है, जैसे अवधित जलवायु और प्रदूषण को कम करने के लिए प्रकृति के साथ मिलकर इन खास मौकों पर नैतिकता और प्रकृतिक संतुलन को बनाए रखने की कोशिश करने का.

आनंद और मनोरंजन:

दीवाली पर पटाखे जलाने का प्रकृतिक रूप से एक प्रकार का मनोरंजन भी हो सकता है, जिसमें परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का सुअवसर होता है।

हालांकि पटाखों का उपयोग खुशी और उत्सव के रूप में किया जाता है, यह भी माहौल में प्रदूषण को बढ़ा सकता है। इसलिए, विशेष ध्यान देना चाहिए कि पटाखे और अन्य प्रदूषण उत्पन्न करने वाले उपकरणों का सावधानीपूर्वक उपयोग किया जाता है, ताकि वातावरण को क्षति न हो.

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भारत में पटाखे कौन लाया Diwali ?

पटाखे का आविष्कार किसी एक व्यक्ति या जगह के साथ जुड़ा हुआ नहीं है। पटाखों का उपयोग आसपास कई सौ सालों से किया जा रहा है और इसका इतिहास प्राचीन भारतीय उपमहाद्वीप तक पहुंचता है।

पटाखे का उपयोग दीवाली जैसे उत्सवों में आत्मा में उत्सव और खुशियों का प्रतीक के रूप में किया जाता है, और इसका उपयोग व्यक्तिगत मनोरंजन के लिए भी किया जाता है।

अधिकतर पटाखों का उत्पादन और विपणन विभिन्न कंपनियों और व्यापारिक संगठनों द्वारा किया जाता है, और इनका उपयोग लोग त्योहारों और खुशी के मौकों पर करते हैं।

दीवाली के दौरान, पटाखों का उपयोग विशेषत: कागजी पटाख, फुलझड़ी, अनार, चक्र, राकेट, आदि किया जाता है। इन पटाखों का उपयोग अलग-अलग तरीकों से किया जाता है और वे त्योहार के मनोरंजन का हिस्सा बनते हैं।

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दिवाली कृष्ण है या राम Diwali ?

दीवाली का प्रमुख कथा और महत्व भगवान राम के साथ जुड़ा हुआ है, और इसे राम लीला के आधार पर मनाया जाता है। दीवाली भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण के अयोध्या लौटने के बाद की खुशियों का स्मरण करती है और उनके घरकुल में प्रकाश और सुख की प्रतीक होती है।

कृष्ण जी का जन्म जन्माष्टमी नामक त्योहार के रूप में मनाया जाता है, जो भागवत पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्म के अवसर पर होता है, और वह त्योहार भगवान कृष्ण की लीलाओं और गुणों को याद करता है।

इस तरह, दीवाली और जन्माष्टमी दो अलग-अलग हिन्दू त्योहार हैं, जिनमें भगवान राम और भगवान कृष्ण दो अलग-अलग अवतार हैं, और वे भक्ति और मानवता के महत्वपूर्ण प्रतीक हैं।

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