Govardhan Puja 2023: जानें सही तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व
गोवर्धन की पूजा कैसे की जाती है Govardhan Puja 2023
गोवर्धन पूजा Govardhan Puja 2023 को धार्मिकता में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है,और इसे विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पूजा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि, दीपावली के दिन, मनाई जाती है। यहां कुछ आम चरणों का विवरण है जो गोवर्धन पूजा में शामिल किए जाते है

गोवर्धन पूजा की तैयारी:
पूजा के लिए साफ-सुथरा स्थान होना चाहिए और उस जगह आसन या चटाई जरुर बिछाये
गोवर्धन पूजा के लिए योजना बनाएं और सभी आवश्यक सामग्री तेयार करे
गोवर्धन पूजा की शुरुआत:
पूजा की शुरुआत करने से पहले व्रत और उपवास का निर्धारण करना बहुत जरुरी है
गोवर्धन शिला को घोये और उसको फूल माला से सजाये
पूजा सामग्री:
गोवर्धन शिला की पूजा के लिए दीप, धूप, अगरबत्ती, रोली, चावल, कुमकुम, गंगा जल, फल, मिठाई, और फूल आदि की आवश्कता अनुसार सामग्री तैयार करें।
पूजा विधि:
गोवर्धन शिला को प्रणाम करके उस पर पुष्प,धूप,दीप,चंदन,और अक्षतों चढ़ाये
मंत्र जप के साथ गोवर्धन शिला की आराधना करें।
फल, मिठाई, और अन्य सात्विक भोजन को गोवर्धन शिला को चढ़ाएं।
गोवर्धन परिक्रमा:
कुछ लोग गोवर्धन परिक्रमा करने का विचार करते हैं, जो शिला के चारों ओर चक्कर लगाना होता है।
भजन और कीर्तन:
पूजा के दौरान भजन और कीर्तन का करना चाहिए , जिसमें परिवार के सभी सदस्यो भाग लेना चाहिए
गोवर्धन पूजा कथा:
पूजा के दिन गोवर्धन पूजा कथा का पाठ करें जो गोवर्धन पर्व से संबंधित हो।
दान और सेवा:
गोवर्धन पूजा के दिन दान करें और सेवा में योगदान दें।
ये बस कुछ सामान्य चरण हैं, आप अपनी परंपरा और आपकी विशेष प्राथमिकताओं के आधार पर पूजा को साजगोल बना सकते है

दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है Govardhan Puja 2023
गोवर्धन पूजा दिवाली के बाद कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के गोकुल वासियों के साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा करना है।
गोवर्धन पूजा का महत्व भगवान कृष्ण के बाल लीलाओं से संबंधित है, जिसमें भगवान ने गोकुल वासियों को विरोधी समुद्र और वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने बल से उठाया था। इस घटना के पश्चात्, लोग गोवर्धन पूजा के रूप में इस पर्वत की पूजा करने लगे।
दिवाली के बाद की तिथि का चयन इसलिए किया जाता है क्योंकि दिवाली के बाद ही भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी और इसे अपने बल से उठाया था। इस पूजा के दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा,अर्चना,और परिक्रमा करते हैं, और इस अवसर पर भगवान कृष्ण की भक्ति में रूचि बढ़ाते हैं।

गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें क्या ना करें Govardhan Puja 2023
गोवर्धन पूजा के दिन विशेष रूप से धार्मिक क्रियाएं और आचरण की जाती हैं जो इस पर्व के महत्वपूर्ण होते हैं। यहां कुछ चरण हैं जो आप गोवर्धन पूजा के दिन कर सकते हैं और कुछ जिन्हें आपको नहीं करना चाहिए:
क्या करना चाहिए:
गोवर्धन पूजा का आयोजन:
एक साफ-सुथरा स्थान तैयार करें और गोवर्धन शिला को सजाएं।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जुटाएं, जैसे कि दीप, धूप, अगरबत्ती, रोली, चावल, कुमकुम, फल, मिठाई, और फूल आदि।

गोवर्धन शिला का पूजन:
गोवर्धन शिला को गंगा जल या तुलसी जल से सुधारें।
उसे कुमकुम, चंदन, और अच्छे ख़ुशबूओं से सजाएं।
गोवर्धन शिला को पुष्प, दीप, धूप, और नैवेद्य से पूजें।
पूजा कथा का पाठ:
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पूजा कथा का पाठ करें, जो भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत से संबंधित हो।
गोवर्धन परिक्रमा:
गोवर्धन पूजा के दिन कुछ लोग गोवर्धन परिक्रमा करने का विचार करते हैं, जो शिला के चारों ओर चक्कर लगाना है।
भजन और कीर्तन:
पूजा के दौरान भजन और कीर्तन का आयोजन करें, जिसमें परिवार के सदस्य भी भाग ले सकते हैं।

क्या नहीं करना चाहिए
अशुभ क्रियाएं:
गोवर्धन पूजा के दिन अशुभ क्रियाएं न करें और धार्मिक गतिविधियों का आदरपूर्वक पालन करें।
नकारात्मक भावनाएं:
पूजा के दिन नकारात्मक भावनाओं को दूर करें और प्रेम और शांति की भावना में रहें।
पुनः विवाद:
गोवर्धन पूजा के दिन पुनः विवाद उत्पन्न न होने दें और सभी के साथ सामंजस्य बनाए रखें।
इन सावधानियों का पालन करके आप गोवर्धन पूजा को आत्मिक और धार्मिक दृष्टि से समर्पित रूप से मना सकते हैं।

घर में गोवर्धन पूजा कैसे करें Govardhan Puja 2023
गोवर्धन पूजा एक हिन्दू धार्मिक पर्व है जो भगवान कृष्ण की पूजा के रूप में मनाया जाता है, और इसे गोवर्धन पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व दीपावली के दिन के बाद, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। यहां कुछ आम चरणों का उल्लेख है जो गोवर्धन पूजा में शामिल किए जा सकते हैं:
पूजा की तैयारी:
पूजा के लिए एक साफ-सुथरा स्थान तैयार करें और उसे आसन या चटाई से सजाएं।
गोवर्धन शिला को सजाकर उसे पूजनीय बनाएं।
व्रत और उपवास:
गोवर्धन पूजा के दिन व्रत रखें और उपवास करें।
गोवर्धन शिला पूजा:
गोवर्धन शिला को गंगा जल या तुलसी जल से सुधारें।
उसे कुमकुम, चंदन, और अच्छे ख़ुशबूओं से सजाएं।
गोवर्धन शिला को पुष्प, दीप, धूप, और नैवेद्य से पूजें।

भजन और कीर्तन:
गोवर्धन पूजा के दिन भजन और कीर्तन की सभा में भाग लें।
पारंपरिक भोज:
परिवार के सभी सदस्यों के साथ पारंपरिक भोज का आयोजन करें।
गोवर्धन पूजा कथा:
गोवर्धन पूजा के दिन कथा वाचन करें, जो भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्व से संबंधित हो।
दान और सेवा:
गोवर्धन पूजा के दिन दान करें और सेवा में योगदान दें।
गोवर्धन परिक्रमा:
कुछ लोग गोवर्धन परिक्रमा करने का विचार करते हैं। यह शिला के चारों ओर चक्कर लगाना है।
ये बस कुछ सामान्य चरण हैं, आप अपनी परंपरा और आपकी विशेष प्राथमिकताओं के आधार पर पूजा को साजगोल बना सकते हैं।

क्या गिरिराज और गोवर्धन एक ही हैं Govardhan Puja 2023
जी हां, “गिरिराज” और “गोवर्धन” एक ही व्यक्ति और स्थान के लिए प्रयुक्त शब्द हो सकते हैं, लेकिन यह भी विभिन्न संदर्भों में अलग हो सकते हैं।
गिरिराज:
“गिरिराज” का शाब्दिक अर्थ है “पर्वतराज” या “पर्वतों का राजा”।
धार्मिक साहित्य में, इस शब्द का अधिकतर उपयोग भगवान शिव के लिए किया जाता है, जिन्हें कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले राजा कहा जाता है।
गोवर्धन:
“गोवर्धन” एक पर्वत का नाम है, जो भगवान कृष्ण के समय में महत्वपूर्ण हुआ था।
गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपने बाल गिराकर गोकुलवासियों को विरोधी समुद्र व वर्षा से बचाया था। इस घटना को “गोवर्धन पर्वत उत्सव” के रूप में मनाया जाता है।
इस प्रकार, जिस पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपने बालों से गिराया था, उसे “गोवर्धन” कहा जाता है और उसे “गिरिराज” भी कहा जा सकता है, क्योंकि वह पर्वत उनके द्वारा गिराया गया था।
पूजा शुरू करने से पहले कौन सा मंत्र बोला जाता है Govardhan Puja 2023
पूजा शुरू करने से पहले, लोग विभिन्न देवताओं या भगवानों की आराधना के लिए विशेष मंत्रों का जाप करते हैं। यह मंत्र व्यक्ति की भक्ति और समर्पण को दर्शाने का एक तरीका है और उसे पूजा के लिए तैयार करता है।
यहां कुछ प्रमुख पूजा आरम्भ के मंत्र हैं:
गणेश पूजा:
“ॐ गं गणपतये नमः।”
या
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।”
देवी पूजा:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देव्यै नमः।”
या
“सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।”
विष्णु पूजा:
“ॐ नमो नारायणाय।”
या
“शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाकारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।”
शिव पूजा:
“ॐ नमः शिवाय।”
या
“महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।”
ये मंत्र पूजा की शुरुआत में जप किए जाते हैं ताकि व्यक्ति भक्ति और समर्पण के साथ पूजा कर सके। इन मंत्रों का जाप करने से पूजा का माहौल प्रशिक्षित और पवित्र बनता है।