श्राद्ध कैसे करना चाहिए ? नहीं जानते हैं 95% लोग
एकादशी के दिन श्राद्ध नहीं करना चाहिये। पुष्कर खंड में भगवान शंकर ने पार्वती जी को स्पष्ट रूप से कहा है, जो एकादशी के दिन श्राद्ध करते हैं तो श्राद्ध को खाने वाला और श्राद्ध को खिलाने वाला और जिस के निमित्त वह श्राद्ध हो रहा है वह पितर, तीनों नर्क गामी होते हैं।
उसके लिए ठीक तो यही होगा कि वह उस दिन के निमित्त द्वादशी को श्राद्ध करें। तो हमारे महापुरुषों का कहना है कि अगर द्वादशी को श्राद्ध नहीं करें और एकादशी को करना चाहे तो पितरों का पूजन कर निर्धन ब्राह्मण को केवल फलाहार करावे । वस्त्र दान करें। भले ही वह ब्राह्मण एकादशी करता हो या ना करता हो। लेकिन हमें उस दिन उसे फलाहार ही करवाना चाहिए।
श्राद्ध में कभी स्त्री को श्राद्ध नहीं खिलाया जाता आजकल एक प्रचलन है पिताजी का श्राद्ध है तो पंडित जी को खिलाया और माता जी का श्राद्ध है तो ब्राह्मणी को खिलाया यह शास्त्र विरुद्ध है। स्त्री को श्राद्ध का भोजन करने की आज्ञा नहीं है। क्योंकि वह जनेऊ धारण नहीं कर सकती, उनको अशुद्ध अवस्था आती है, वह संकल्प नहीं करा सकती, ‘ब्राह्मण’ को ही श्राद्ध का भोजन कराना चाहिए। ब्राह्मण के साथ अगर तो ब्राह्मणी आ जाए उनकी पत्नी आ जाए साथ में बच्चे आ जाएं कोई दिक्कत नहीं है, पर अकेली ब्राह्मणी को भोजन कराना शास्त्र विरुद्ध है।
आप जानते हैं कि श्राद्ध पूजा एक महत्वपूर्ण रीति है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे कैसे करना चाहिए? अक्सर लोग इस विषय में अनजान होते हैं। इसलिए इस वीडियो में हम आपको श्राद्ध करने का सही तरीका बताएंगे।
हमेशा श्राद्ध को एक शुद्ध स्थान पर करें। एक आरामदायक स्थान जहां ध्यान केंद्रित किया जा सके। ध्यान दें कि इसे आदरपूर्वक करना आवश्यक है।
श्राद्ध की पूजा करते समय, अपने पितरों का ध्यान करें। उन्हें मानसिक रूप से बुलाएं और उन्हें अपनी आत्मा के साथ संवाद करें। यदि आपके पास उनकी तस्वीरें हैं, तो उन्हें भी अपने सामने रखें।
आपको श्राद्ध में विभिन्न प्रकार के अन्न, फल और दान करने की आवश्यकता होगी। प्रत्येक परिवार की विशेषता और परंपरा के अनुसार श्राद्ध में विभिन्न आहार शामिल होते हैं।
अगर आप पूरे ध्यान और समर्पण के साथ श्राद्ध अवस्था में होंगे, तो ऐसा अनुभव होगा जैसे आपके पितर आपके पास हैं और आपकी पूजा को स्वीकार कर रहे हैं।
इस वीडियो में हमने आपको श्राद्ध करने के फायदे और सही तरीका बताया है।