कंस वध: एक महान युद्ध क्षेत्रीय कथा, एक थ्रिलर से कम और एक एडवेंचर से ज्यादा है। क्या आप कभी कोई ऐसी कहानी सुना है जिसमें एक उत्पाद ऐसा हो जो किसी असली अदम्य सभ्यता को दबोचने का काम करे? यही हुआ था प्राचीनकाल में, जब कंस नामक उत्पाद उज्जवल भूमि पर उत्पन्न हुआ। आह! ये हैरान करने वाली बात है, लेकिन बड़े होली उत्सव के उपधान में कंस को पहली बार देखने वाले लोग चकित हो गए थे।
इसके साथ ही, बहुत से लोगों ने इसका उपयोग उनकी सर्वश्रेष्ठ योग्यता की परीक्षा में भी किया। लोगों के मन में यह सवाल होगा कि क्या कंस वध के लिए एक महान युद्ध क्षेत्र की आवश्यकता थी? चलिए, अपने आप को एक योद्धा की भूमिका में सोचने के लिए तैयार करें। और यदि हमें इस कथा के पीछे सच्चाई जाननी है, तो हमें कांस्ट की यह ट्रुथ बताने के लिए अपनी योग्यताओं का इस्तेमाल करना होगा!
• कंस की उत्पत्ति
• कंस के प्रयोग
• कंस के लिए एक महान युद्ध क्षेत्र
• कंस वध की कथा
• कंस वध की जटिलताएं
कंस की उत्पत्ति
परिचय
कंस, एक लोहे के बहुदूरचार मिश्रण की उत्पत्ति के बारे में चर्चा करने से पहले, चलिए कुछ मजेदार चीजों पर बात करें। तो, हमारे पास एक धर्म प्रेमी फ्रेंड हैं जो बिना बैंगन और कॉलीफलौवर के तावतीरों के साथ यही प्राकृतिक मिश्रित कंस की बात करते रहते हैं। वे लोग यह Proof साझा करते हैं कि कंस उन्हीं के पिता को एकटीव बैंगन खरीदते समय मिली। चूंकि मैं खुद एक धार्मिक संस्कृति के डायनों से आग्रह करने का वादा किया हूं, तो मुझे इसके बारे में दो टूक बताते हैं।
चलो, अब कंस की उत्पत्ति पर बात करें। वापस अपने अजीब युद्ध क्षेत्र में लौटेंगे। डिबिय ईमारत और अनाचार के बिच में गुटर बंद हो चुका है। जिसने यह सोचा होता है कि कंस की उत्पत्ति एक आम वाक्य होगी, वह तेजी से अपनी बात के पीछे में घूम रहे होंगे। कंस, प्रिय पाठकों, भगवान शिव और कृष्ण के साथ उनके आशीर्वाद पर आधारित एक शब्द है। इसलिए, जहां भी हो, जिस भाषा में लिखो, हमारे सभी पठक फ्रेंड यह बात याद रखने के लिए तैयार हो जाते हैं कि कंस, जो मूर्ति बन चुका है, इतने खतरनाक नहीं होने चाहिए! मज़ाकिया हास्यास्पद रूप से “जुड़वां” विचारधारा का पालन करते हुए आगे बढ़ते हैं।
कंस की उत्पत्ति
पाठकों, कंस एक बहुत ही सरल तरीके से उत्पन्न नहीं हुआ। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कंस का जन्म उनके पिता द्वारा किये गए एक साद्ध्य यज्ञ से हुआ।
इस यज्ञ के दौरान उनके माता-पिता ने पोट में लोहे का एक गोला खा लिया, और वोही गोला पुनर्जन्म में उनका बेटा हुआ, जो बाद में कंस के रूप में पहचाना गया। लेकिन ये धार्मिक किस्से अहेम नहीं हैं, खासकर जब तक लोग नारियां नहीं बोलते, कंस के पिता ने एक खातून में गोली डाली थी। जैसा ये कहानी कहती है, एक दिन उन्होंने विशाल स्तम्भ में सिंहासन के नीचे ठगली दोपहिया गोली खाई थी। उन्होंने ऐसा कारोबार किया कि वह इस युद्ध खंड में अतिरिक्त गोली के रूप में वो गोला बन गया, जिसे उन्हे घोड़ी नाम दिया गया। कंस की उत्पत्ति की इस आत्मबलि से जुड़े बातचीत में हमारे डिबिय ब्रेन संकुचित हो जाएंगे और बैगगे रख दिए जाएंगे। अगले खंड में हम जवाब ढूढ़ेंगे कि कंस के युद्ध क्षेत्र के लिए क्यों एक महान रूप है?
कंस के प्रयोग
कंस के प्रयोग:
कंस, हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण धातु है जिसका प्रयोग तो इतना व्यापक होता है कि आपको अलमारी में जाकर एकदिवसीय पेशेवर नौकरी करनी पड़े। जी हाँ, आपने सही सुना! कंस हमेशा से सिर्फ और सिर्फ नौकरी के लिए ही इस्तेमाल होता आया है। सोने और चांदी की तुलना में इसका मोल तो कुछ नहीं, लेकिन जब बात नौकरी की आती है तो कंस हो जाता है गोल्डन हर्स, फिल्मी वैलट इसे ज्यादा वर्णन नहीं किया जा सकता।
तो कंस का प्रयोग करने की जिसकी इतनी लोकप्रियता है, उसके पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला, इसकी एंटी-ध्वनि गुणवत्ता जो इसे शोर प्रदूषण से बचाती है और दूसरा, इसकी कम कीमत जिसे देखकर कोई भी मुफ्त की गोल्ड चेन मान ले तो ग़लत नहीं होगा।
तो अगर आप एक गिट्टर बजाने वाले हैं या एक धुणा ज़ोर जबरदस्त बातूनी कहानी कहने वाले हैं, तो कंस आपके लिए सबसे परफ़ेक्ट विकल्प हो सकता है। यह न केवल आपकी अदाहन शोध करने में मदद करेगा, बल्कि आपके पड़ोसी को चकत्ते बजाने में भी उम्मीदवार बन सकता है।
तो अगर आप बार-बार ट्रांसफ़र्ड नहीं होना चाहते हैं, या अपनी जिंदगी में थोड़ी हंसी और मज़ा ज़रूरत है, तो कंस आपके लिए अगला ग्रेट प्रोजेक्ट हो सकता है।
**नकली चेन बेचने वाले कंस मंदिर वाले भगवान के पास न जाएँ।**
कंस के लिए एक महान युद्ध क्षेत्र
कंस, हमारे देश की एक महान और थोड़ी सी खसकर ब्रास्स के द्वारा निर्मित धातु है। फिर चाहे वह आर्ट और क्राफ्ट में हो या नौसेना की जहाजों में, कंस का इस्तेमाल हमारे जीवन का हर क्षेत्र में और हर कदम पर दिखाई देता है। लेकिन जो काफी आश्चर्यजनक है वह है कंस के लिए एक महान युद्ध क्षेत्र की रूपरेखा की विराटा।
जब तक हमें कंस का निर्माण कैसे करना है या उसके उपयोग के बारे में ज्ञान हो इस सवाल का उत्तर बहुत मुश्किल हो सकता है। आख़िर कंस वध की असंभव द्रष्टि से कैसे एकदिवसीय आत्मविरोध तंत्र को गोली के तरह खत्म किया जा सकता है? कैसे थोस कंस बंदूक बनाने के ताकतवर मेहनत में रातों रात अस्त्रशास्त्री विदेशियों को छू कर हमें यह बता रही है कि हमारे देश का युद्ध प्रणाली वास्तव में कैसी हो सकती है?
इस दोहरे विचार की रोशनी में, हमे कंस के लिए एक महान युद्ध क्षेत्र की विपरीत मतलब निकालते हैं- एक महाशक्ति, मेहनत और इच्छाशक्ति का प्रतीक! यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां न केवल हम अपने व्यापार को अग्रेषित कर सकते हैं, बल्कि इसे जीने का तरीका भी सीख सकते हैं। इसे कंस के द्वारा बनाने की रणनीति तकनीकी रूप से दक्ष होती है, इसलिए इसे महान युद्ध क्षेत्र के नाम से यहां जाना जाता है! अतः कंस के लिए एक महान युद्ध क्षेत्र हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां हम न केवल धातु को देखते हैं, बल्कि उसे अपनी महत्ता के साथ महसूस भी करते हैं।
कंस वध की कथा
कंस, हमारी कहानी का एक महान भयानक संकट है। उसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु के अवतार, नरसिंह द्वारा हुई। उसके जन्म के समय स्वर्ग और पृथ्वी अपने आंतरिक डर के साथ आँगण में धाकेदार्री कर गये। हां, कंस ने यह सब तो जरूर कर दिया, लेकिन वो इंद्रप्रस्थ नहीं चहिये, आदित्य नहीं चहिये, वह तो श्रीकृष्णा नहीं चाहता था।
कंस के लिए एक महान युद्ध क्षेत्र रामेश्वरम घोषित हुआ। उसने संबंधित राजाओं के ब्यौरे को अहत, मरे, कूचा करके उसे ख़ुश रखा। कंस वध की कथा आगे बढ़ती है, जहां पूरी साज़िश का बुलबुला उठेगा, कंस की जटिलताओं का फ़रवरी ढ़ूंढ़ लेगेगा और लड़केगा, क्योंकि सामयिक या समयिकन युद्ध ने इतिहास के लिए एक नये हिस्से को युगों याद करवाने की बात है। हां, यह ख़ुद विष्णु भगवान की अपेक्षाओं का पलवे था, तो क्या सचमुच यह ‘गोविंद के इच्छा-पुर्ति’ थी? तो कौन था जो स्वयं को दिव्य राज्य से ईश्वरीय जग की गनपतीय व्यवस्था में बदलना चाहता था?
कंस वध की जटिलताएं
कंस वध की जटिलताएं
कंस वध की कथा अत्यंत मनोरंजक है, लेकिन इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इसमें कई जटिलताएं भी हैं। पहली जटिलता यह है कि कंस की संख्या अश्लील विनोद चित्रों में उपयोग होने वाले महंगे दिखते हैं, लेकिन वास्तविकता में वे एक छोटे पटकथा के लिए बहुत ही महंगे हो जाते हैं। दूसरी जटिलता यह है कि वेद पुराण इत्यादि में खूबसूरत रामायण की कथा सुनाई जाती है, लेकिन एक औरत ने कंस को मार गिराया। हालांकि, हम यह सोच सकते हैं कि रामायण में राम ने रावण को मारा था, लेकिन जटिलता यह है कि कंस वध का कारक है कृष्ण, न कि कंस। आखिरकार, एक औरत बन गई थी – चंद्रमुखी, जो कि आनंद मार्ग में गई थी, लेकिन मनुष्यों ने उसे एक पुरानी पुस्तक समझ कर संग्रहीत करा लिया।
कंस वध की जटिलताओं में एक और जटिलता यह है कि कुछ लोग इसे सिर्फ एक कथा मानते हैं जो उत्पन्न होने के साथ ही समाप्त हो जाती है, लेकिन यह एक पूर्ण धर्मग्रंथ के पार जाती है। आखिर में, आपस में सहमत होने का जटिलता है कि एक कथा किसे कहें और क्यों कहें? आखिरकार, यह एक महान कथा है जिसमें पेड़ बड़े हो जाते हैं और एक पूर्ण युद्ध के लिए किसी कर्णरूप को तैयार करते हैं।
**तो, इस तरह से देखिए, कंस वध की कथा के पीछे दिनचर्या ध्वनियों, ग्रंथों के जटिल रहस्यों और रूपांतरणों के मंदिर सजाने की जटिलताओं का एक भोर है। यहाँ तक कि इस भोर के बीच सबसे बड़ी चीज है जटिलता के बारे में अपने आपको सचमुच बुज़दिल करना।**
समय दिखाएगा कि इस तरह की जटिलताओं का समाधान क्या है, लेकिन हम जितना संभव हो सके यही करते हैं कि हम उन्हें सहज तरीके से उजागर करें और उन्हें संघर्ष में जीवित रखें। परंतु आप तैयार रहें, क्योंकि अगली बार हम इस कहानी की अविस्मरणीय समाप्ति पर आपको लहराते हुए बीतने वाले एक युवा कृष्ण के साथ मिलाएंगे।
समापन
आइए चलिए, हम सब एक धीरे-धीरे फाइनल घोषणा का सामना कर लें। कंस वध की कथा के ये हैं कुछ महत्वपूर्ण बिंदुए। बेहद संक्षेप में, ये घटना हमें दिखाती है कि महाभारत में कंस का वध उसके ज़बरदस्त योद्धत्व का परिणाम नहीं था, बल्कि ये एक ऐतिहासिक क्षण था जब एक नर-नारी ने सान्त्वना, साक्षमता और विश्वास के संगम पर विजय प्राप्त की।
युद्धस्थल की ये एक उत्कृष्ट योद्धा कथा है जो हमें दिखाती है कि सामान्यतः कठिनाइयों के मुँह छिद्र बनाने के लिए शक्ति व शक्तिशाली प्रतीत होना जरूरी नहीं है। कंस वध की कथा हमें ये सिखाती है कि विजय हमेशा इंसानी संबंधों में छिपा होती है, और बिना विश्वास के सामरिक योग्यता महत्वशून्य होती है। सबसे अच्छी बात ये है कि इस कथा में ये दिखाया गया है कि “ना तक़़त में ही क्षमा है और ना ही दृढ़ता में ही शक्ति है”।
ये कथा गहरे व अर्थपूर्ण संदेशों को सहज ढंक देती है। इसके प्रकाशमंडल में हरेक पाठक एक इंसानी होने की महत्वाकांक्षा-भरी ऊंचाई पर स्थापित होता है। आज के दिन हमें ये दिखाने का सुन्दर अवसर मिल रहा है कि एक इंसानी क्षमता और स्नेह के संगम कोई भी अटकलें व सवालों से परेशान नहीं कर सकती हैं।
धीमे-धीमे, हम इस आधुनिक कथा को समाप्त कर रहे हैं। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि विजय न केवल शक्ति में होती है, बल्कि विश्वास, सहभागिता और सहानुभूति में भी छिपी होती है। तो चलिए, अब हम इस युद्ध क्षेत्रीय कथा को एक हो जाने दें। और याद रखें, “विजय उन्नति होती है जब हमारे पास जीत नहीं होती है, बल्कि ज़िंदगी के साथ कितनी देर रहती है।”
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