माँ कालरात्रि आरती (Maa Kalratri Aarti)
माँ कालरात्रि आरती “जय कालरात्रि माता।” विशेष रूप से दुर्गा पूजा के दौरान पढ़ी जाती है और इसका महत्व विशेष रूप से नवरात्रि के सातवें दिन होता है। माँ कालरात्रि, एक अद्भुत और भयंकर स्वरूप में दुर्गा की पूजा की जाती है, और उनके इस स्वरूप को प्राप्त करने के लिए कई व्रत और उपासना की जाती है।
माँ कालरात्रि आरती के लाभ (Maa Kalratri Aarti Benefits)
माँ कालरात्रि आरती का पाठ करने से माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ कालरात्रि की पूजा नवरात्री के सातवें दिन की जाती है। उनकी आरती का पाठ करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
माँ कालरात्रि को शक्ति और पराक्रम की देवी माना जाता है। उनकी आरती का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होता है
हिंदू धर्म में कालसर्प दोष को एक गंभीर दोष माना जाता है। माँ कालरात्रि की आरती का पाठ करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि बानी रहती है।
माँ कालरात्रि को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाली देवी माना जाता है। माँ कालरात्रि आरती का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
माँ कालरात्रि को आध्यात्मिक उन्नति की देवी माना जाता है। माँ कालरात्रि आरती का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और मोक्ष प्राप्त होता है।
माँ कालरात्रि आरती लिरिक्स हिंदी में (Maa Kalratri Aarti Lyrics In Hindi)
कालरात्रि माता ,
जय कालरात्रि माता ।
धन वैभव संपत्ति ,
की तुम ही दाता ।।
जय कालरात्रि माता ।।
रूप भयंकर तेरा ,
शक्ति महामाई ।
छवि लखते ही तुम्हारी ,
काल भी डर जाई ।।
जय कालरात्रि माता ।।
भूत प्रेत और दानव ,
निकट नहीं आते ।
खडग कटार के आगे ,
शत्रु नहीं टिक पाते ।।
जय कालरात्रि माता ।।
गर्धव वाहिनी मैया ,
कृपा जरा कीजो ।
निर्बल को माँ शक्ति ,
अपनी शरण दीजो ।।
जय कालरात्रि माता ।।
नो दुर्गाओं में भवानी ,
सातवा तेरा स्थान ।
महामाया महाकाली ,
शक्ति तेरी महान ।।
जय कालरात्रि माता ।।
सातवे नवरात्रे को ,
पूजी तुम जाती ।
मनवांछित फल देती ,
शक्ति तेरी महान ।।
जय कालरात्रि माता ।।
हे प्रचंड ज्वालमयी ,
हमपे दया करना ।
जानके सेवक अपना ,
दुःख विपदा हरना ।।
जय कालरात्रि माता ।।
चिंता हारना दाती ,
काल करे न वार ।
विनती इतनी सी माँ ,
कर लेना स्वीकार ।।
जय कालरात्रि माता ।।
लेकर आस शरण में ,
तेरी हम आये ।
सुना है खली दर से ,
ना तेरे कोई जाये ।।
जय कालरात्रि माता ।।
कालरात्रि माता ,
जय कालरात्रि माता ।
धन वैभव संपत्ति ,
की तुम ही दाता ।।
जय कालरात्रि माता