Pitru Paksha Shradh में भूल से ना करे ये 10 गलतिया

 Pitru Paksha Shradh में भूल से ना करे ये 10 गलतिया

जीवन बर्बाद कर देने वाले ये 7 अशुभ काम Pitru Paksha Shradh

Pitru Paksha Shradh  हमारी संस्कृति में एक विशेषतम महीना है। यह मान्यता है कि इस समय हमें अपने अदेशित पुरखों के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। इस महीने में, हम अपने पितरों की आत्माओं को प्रियतम स्थान पर योग्यता और सम्मान देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शायद हम अन्य सदस्यों को भी छोड़ रहे हों जो भीतर नहीं हैं? जैसे कि हमारे देश के सैनिक और नेताओं?

ऐसा हो सकता है कि आप यह आंदोलन करने जा रहे हों कि “पितृपक्ष में भी इस संदेश को भूलना नहीं चाहिए।” इस महीने में, जब हम आदर्श और ग्रेट ख्याति बापूजी की जयंती मनाते हैं, हम सबसे पहले अपने पिताओं को याद करते हैं; उनके बावजूद उनके नेतृत्व में जीने वाले परिवारों को भी याद रखें।

यह महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें सिर्फ एक ही महीने में नहीं, बल्कि सभी महीनों में भी अपने प्यार के अभाव में पड़ते सभी लोगों को याद रखना चाहिए। यह हमारी मानावीय महत्व को दिखाता है और आत्मीयों और समाज के लिए भारतीय संगठन स्पष्ट करता है।

Pitru Paksha Shradh
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1). सुहागिन महिलाएं श्राद्ध पक्ष के दिनों में अपने स्वयं के लिए श्रृंगार की वस्तुएं जैसे नई चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, बिछिया, सिंदूर, साड़ी आदि चीजें खरीद कर ना पहने ।

2). पितृपक्ष के दिनों में बाल ना कटवाए ।

3). झाडू ना खरीदें। पेड़ पौधे ना कटवाए और ना ही स्वयं काटे ।

4). घर में अंडा मांस मछली गलती से भी ना , पितरों के भोजन में लहसुन प्याज का प्रयोग ना करें ।

5). जिस दिन भी पितरों का श्राद्ध हो निकालने से पहले बाल ना धोए ।

6). द्वार पर आए किसी पशु, पक्षी, या जरूरतमंद को खाली ना लौटाए ।

7). पितृ पक्ष के दिनों में किसी भी नए व्रत की शुरुआत या व्रत का उद्यापन ना करें ।

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Pitra Paksh
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पितृपक्ष में भूलकर भी ना करें ये काम Pitru Paksha Shradh

पितृ पक्ष में शराब, मांसाहार, पान, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, लौकी, मूली, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग, आदि वर्जित माना गया है। श्राद्ध में किसी को भी इन चीजो का सेवन नहीं करना चाहिए उससे पितर नाराज हो जाते हैं।

हिंदू धर्म के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान ये काम नहीं करने चाहिए Pitru Paksha Shradh 

कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. जैसे कि शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, घर की खरीददारी, वगैरह शराब, मांसाहार, पान, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, लौकी, मूली, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए

श्राद्ध के दौरान लोहे के बर्तन में खाना नहीं पकाना चाहिए

पीतल, तांबा या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए

बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए

शाम के समय घर में झाड़ू या अन्य साफ सफाई का काम नहीं करना चाहिए

हर दिन जब भी खाना बनाएं उसमें से एक हिस्सा पहले ही निकालकर पितरों के नाम से गाय को खिलाना चाहिए

जिस भी दिन पितृपक्ष में श्राद्ध या तर्पण की तिथि हो उस दिन पितरों की पसंद का खाना ही बनाना चाहिए

पितृपक्ष के दौरान, पितरों को तृप्त करने के लिए घर की महिलाओं को ये पांच वस्तुएं देनी चाहिए: केला, दही, सफेद मिठाई, लगा हुआ पान, दक्षिणा

Pitra Paksh
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पितृ पक्ष में औरतों को क्या करना चाहिए Pitru Paksha Shradh 

पितृ पक्ष, हिन्दू धर्म में पितरों की पूजा और उनकी श्राद्ध का समय होता है, जो अक्सर सितंबर और अक्टूबर के बीच में आता है। इस मौके पर औरतों को भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. श्राद्ध में सहभागिता

  2. औरतों को पितृ पक्ष में भी पितरों के लिए श्राद्ध में सहभागिता बनाए रखना चाहिए। वे भी पूजा और अर्पण के साथ इस आयोजन में शामिल हो सकती हैं।
  3. पूजा और दान

  4. औरतों को भी पूजा, अर्चना, और दान में सहयोग करना चाहिए। यह उनके परिवार के पुरुषों के लिए आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
  5. व्रत और तप

  6. कुछ औरतें इस समय विशेष व्रत रख सकती हैं और तपस्या कर सकती हैं। यह उनकी आध्यात्मिक साधना में सहायक हो सकता है और पितरों के लिए आत्मिक शांति का साधन करने में मदद कर सकता है।
  7. आशीर्वाद प्राप्ति

  8. पितृ पक्ष में औरतों को अपने पुरुष सदस्यों के प्रति समर्पण और सेवा का विशेष महत्व देना चाहिए। उन्हें आशीर्वाद मिल सकता है जो उनके पितृ या परिवार के पुरुषों के लिए प्रयासरत हैं।
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पितृ पक्ष में शारीरिक संबंध बनाने से क्या होता है Pitru Paksha Shradh 

पितृ पक्ष में शारीरिक संबंध बनाना, यानी किसी के शव या शवों के समूह के साथ शारीरिक संबंध जोड़ना, हिन्दू धर्म में प्रचलित है। इसे “पितृ तर्पण” भी कहा जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य पितृगण को श्राद्धादि क्रियाओं के माध्यम से आत्मा की शांति प्रदान करना है। इस परंपरा को विशेषकर पितृ पक्ष में ज्यादा महत्व दिया जाता है।

Pitru Paksha Shradh
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शारीरिक संबंध बनाने से इस प्रक्रिया का लाभ हो सकता है, जैसे कि:

  1. पितृगण को शांति

  2. इस प्रयास के माध्यम से व्यक्ति पितृगण को श्राद्धादि क्रियाओं के जरिए आत्मा की शांति प्रदान करने का प्रयास करता है।
  3. पितरों की आत्मिक उन्नति

  4. हिन्दू धर्म में माना जाता है कि पितृगण को श्राद्धादि कर्मों के माध्यम से आत्मिक उन्नति होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए, उनकी आत्मा को शांति देने का यह एक साधारित माध्यम है।
  5. परिवार के एकता भाव

  6. शारीरिक संबंध बनाना परिवार के सदस्यों को मिलनसर बना सकता है और परिवार को एकजुट रखने में मदद कर सकता है।
  7. धार्मिक आदर्श

  8. इस प्रयास से व्यक्ति अपने धार्मिक आदर्शों का पालन करता है और अपने पूर्वजों के प्रति आदर भाव बनाए रखता है।

हालांकि, इस परंपरा में बहुत ही अच्छा इंटेंशन होना चाहिए और यह व्यक्ति की राह परिवर्तन के लिए उदाहरण नहीं होना चाहिए। यह एक व्यक्ति की आध्यात्मिक नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारियों का हिस्सा है, और यह स्वयं को और उनके परिवार को श्राद्धादि कर्मों के माध्यम से आत्मिक विकास के लिए समर्पित करने का प्रतीक हो सकता है।

 

अगर आपका और कोई सवाल है तो आप हमसे संपर्क कर सकते है  Call & Whats App +91 8950680571

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